खुली आँखे तेरी राह तकती हैं
बंद आँखे तेरे ख्वाब देखती हैं
तू मेरे मुक़द्दर में नहीं,ये बात
मेरे हाथ की लकीरें कहती हैं
तुझसे तो अच्छी तेरी तस्वीर
मेरी नज़्म व ग़ज़लें सुनती है
मुकेश इलाहाबादी -----------
बंद आँखे तेरे ख्वाब देखती हैं
तू मेरे मुक़द्दर में नहीं,ये बात
मेरे हाथ की लकीरें कहती हैं
तुझसे तो अच्छी तेरी तस्वीर
मेरी नज़्म व ग़ज़लें सुनती है
मुकेश इलाहाबादी -----------
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