रोशनी दे भी सकता था किसी ने जलाया ही नहीं
मै हीरा हो भी सकता था किसी ने तरासा ही नहीं
यूँ बेवजह उदास रहने का मुझको कोई शौक नहीं
वज़ह ये रही मुझको, किसी ने गुदगुदाया ही नहीं
मरूंगा तो फ़क़त मेरे करम साथ जाएंगे, लिहाज़ा
सच्चाई और ईश्क़ के सिवाए कुछ कमाया ही नहीं
महफ़िल में सभी की चाहत थी मै कुछ तो सुनाऊँ
बज़्म में तू नहीं थी इसलिए कुछ सुनाया ही नहीं
सच पूछो तो जिस दिन से तुझसे मिला हूँ, मुकेश
किसी और को मैंने, अपना दोस्त बनाया ही नहीं
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------
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