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Wednesday, 27 September 2017

तुम्हारी यादें,

तुम्हारी
यादें, मेरी पसंदीदा कमीज है
जिसे हर रोज़ पहन चल देता हूँ
दिन भर की यात्रा पे

तुम्हारे
ख्वाब ठन्डे पानी की बोतल हैं
जो प्यास बुझाती रहती हैं
कड़ी धूप में,
जब, पसीने से तरबतर होता हूँ

जेब
में रखी तुम्हारी
तस्वीर तसल्ली देती है
कभी तो ख़त्म होगी ये तनहा सफर
और - तुम होगी मेरे साथ

भले ही वो ही ज़िंदगी की शाम हो

मुकेश इलाहाबादी ------------------

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