"आओ !
बैठो,
चुपचाप,
और हम - सुने एक दूजे को "
मैंने कहा --
वो भी,
मुस्कुरा के
घुटने मोड़ के, बैठ गयी
चुप - चाप
और फिर ,,, हमने सुना एक दूजे को
बहुत देर तक
मुकेश इलाहाबादी ---------------
बैठो,
चुपचाप,
और हम - सुने एक दूजे को "
मैंने कहा --
वो भी,
मुस्कुरा के
घुटने मोड़ के, बैठ गयी
चुप - चाप
और फिर ,,, हमने सुना एक दूजे को
बहुत देर तक
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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