कोई अपना हुआ या न हुआ करे
रब मगर सब की खैर किया करे
भले जेठ बैसाख सूरज तपा करे
जेठ बैसाख तो बादल बरसा करे
यूँ तो शख्श मसरूफ है आजकल
मगर तीज त्यौहार तो मिला करे
भले कोई हमारा कितना बुरा करे
दिल अपना सब के लिए दुआ करे
सच व आन बान के लिए तना रहे
सिर मग़र बड़ों के आगे झुका रहे
मुकेश इलाहाबादी --------------
रब मगर सब की खैर किया करे
भले जेठ बैसाख सूरज तपा करे
जेठ बैसाख तो बादल बरसा करे
यूँ तो शख्श मसरूफ है आजकल
मगर तीज त्यौहार तो मिला करे
भले कोई हमारा कितना बुरा करे
दिल अपना सब के लिए दुआ करे
सच व आन बान के लिए तना रहे
सिर मग़र बड़ों के आगे झुका रहे
मुकेश इलाहाबादी --------------
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