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Friday, 6 April 2018

तुम आना,

तुम ,
उदास होना तो आना,
मै तुम्हे लतीफ़ा सुनाऊँगा
तुम हँसना,

तुम जब, अनमनी होगा 
तब आना,
मै तुम्हे गुदगुदी लगाऊँगा
तुम खिलखिलाना

तुम जब खुश होना - तब आना
हम तुम कट्टम - कुट्टा खेलेंगे कागज़ पे
और हंस हंस कर करेंगे धौल - धप्पा

तुम बारिस हो तब आना
हम तुम भुट्टा खाएंगे, और
टहलेंगे कनॉट प्लेस के बरामदे में

लेकिन तुम आना,
जब मन हो - तब आना

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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