तुम ,
उदास होना तो आना,
मै तुम्हे लतीफ़ा सुनाऊँगा
तुम हँसना,
तुम जब, अनमनी होगा
तब आना,
मै तुम्हे गुदगुदी लगाऊँगा
तुम खिलखिलाना
तुम जब खुश होना - तब आना
हम तुम कट्टम - कुट्टा खेलेंगे कागज़ पे
और हंस हंस कर करेंगे धौल - धप्पा
तुम बारिस हो तब आना
हम तुम भुट्टा खाएंगे, और
टहलेंगे कनॉट प्लेस के बरामदे में
लेकिन तुम आना,
जब मन हो - तब आना
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
उदास होना तो आना,
मै तुम्हे लतीफ़ा सुनाऊँगा
तुम हँसना,
तुम जब, अनमनी होगा
तब आना,
मै तुम्हे गुदगुदी लगाऊँगा
तुम खिलखिलाना
तुम जब खुश होना - तब आना
हम तुम कट्टम - कुट्टा खेलेंगे कागज़ पे
और हंस हंस कर करेंगे धौल - धप्पा
तुम बारिस हो तब आना
हम तुम भुट्टा खाएंगे, और
टहलेंगे कनॉट प्लेस के बरामदे में
लेकिन तुम आना,
जब मन हो - तब आना
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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