जब
हम गुफाओं से निकले थे
असभ्य थे
पर बर्बर न थे
हिंसक थे
पर पेट भरने तक
तन पे कपडे न थे
पर आँखों में हया के वस्त्र होते थे
जब हम गुफाओं से निकले
धरती - माता
चंदा हमारा मामा होता था
पत्थर हमारा देवता होते थे
पर हम पत्थर के नहीं थे
जब हम गुआओं में रहते थे
तब तो ऐसे न थे ??
असभ्य तो थे
पर बर्बर तो न थे
मज़हब के लिए
पैसे के लिए
यूँ मरते कटते तो न थे
जब हम
गुफाओं से निकले थे
तब ऐसे तो न थे ??
मुकेश इलाहाबादी ------------
हम गुफाओं से निकले थे
असभ्य थे
पर बर्बर न थे
हिंसक थे
पर पेट भरने तक
तन पे कपडे न थे
पर आँखों में हया के वस्त्र होते थे
जब हम गुफाओं से निकले
धरती - माता
चंदा हमारा मामा होता था
पत्थर हमारा देवता होते थे
पर हम पत्थर के नहीं थे
जब हम गुआओं में रहते थे
तब तो ऐसे न थे ??
असभ्य तो थे
पर बर्बर तो न थे
मज़हब के लिए
पैसे के लिए
यूँ मरते कटते तो न थे
जब हम
गुफाओं से निकले थे
तब ऐसे तो न थे ??
मुकेश इलाहाबादी ------------
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