हम कंहा इतनी आसानी से मरने वाले थे सनम
वो तो तेरी मासूम अदाएँ थी जो मर गए सनम
अपना जिस्म अपने पँख जला डाले हैं धूप में
तब कंही तेरे लिए चाँद सितारे ला पाए सनम
अमूमन हम अपना दर्द अपना ग़म बताते नहीं
तुम अपने से लगे इसलिए तुमसे रो लिए सनम
न जाने कौन सा जादू था जो समंदर छोड़ के
तेरी झील सी आँखों में हम तैरने लगे सनम
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
वो तो तेरी मासूम अदाएँ थी जो मर गए सनम
अपना जिस्म अपने पँख जला डाले हैं धूप में
तब कंही तेरे लिए चाँद सितारे ला पाए सनम
अमूमन हम अपना दर्द अपना ग़म बताते नहीं
तुम अपने से लगे इसलिए तुमसे रो लिए सनम
न जाने कौन सा जादू था जो समंदर छोड़ के
तेरी झील सी आँखों में हम तैरने लगे सनम
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
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