थोड़ी सी धूप थोड़ा सा पानी है
थोड़ा ठहराव है थोड़ी रवानी है
कभी हँसाती, तो कभी रुलाती
जीवन सुख दुःख की कहानी है
कँही तो कांटे,झाड़ी और धतूरा
कंही पे गेंदा गुलाब रातरानी है
कंही पर खुशी के उड़ते गुलाल
कुछ जगह मौसम शमशानी है
इक राम नाम को ही सच जान
ये धन दौलत ओहदा बेमानी है
मुकेश इलाहाबादी ------------
थोड़ा ठहराव है थोड़ी रवानी है
कभी हँसाती, तो कभी रुलाती
जीवन सुख दुःख की कहानी है
कँही तो कांटे,झाड़ी और धतूरा
कंही पे गेंदा गुलाब रातरानी है
कंही पर खुशी के उड़ते गुलाल
कुछ जगह मौसम शमशानी है
इक राम नाम को ही सच जान
ये धन दौलत ओहदा बेमानी है
मुकेश इलाहाबादी ------------
No comments:
Post a Comment