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Thursday, 5 July 2018

उम्र भर के लिए तलबग़ार बना लेता है

उम्र भर के लिए तलबग़ार बना लेता है
जिससे भी मिलता है यार बना लेता है

सच कहता हूँ खिल्ल खिल्ल हंस कर
उदास महफ़िल खुशगवार बना लेता है

खिला कर अपनी हँसी के गेंदा गुलाब
सारे आलम को खुश्बूदार बना लेता है 

ये शोख़ी, ये शरारत अजब मुस्कुराहट
हर इक को अपना दिलदार बना लेता है

मुकेश इलाहाबादी ------

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