उम्र भर के लिए तलबग़ार बना लेता है
जिससे भी मिलता है यार बना लेता है
सच कहता हूँ खिल्ल खिल्ल हंस कर
उदास महफ़िल खुशगवार बना लेता है
खिला कर अपनी हँसी के गेंदा गुलाब
सारे आलम को खुश्बूदार बना लेता है
ये शोख़ी, ये शरारत अजब मुस्कुराहट
हर इक को अपना दिलदार बना लेता है
मुकेश इलाहाबादी ------
जिससे भी मिलता है यार बना लेता है
सच कहता हूँ खिल्ल खिल्ल हंस कर
उदास महफ़िल खुशगवार बना लेता है
खिला कर अपनी हँसी के गेंदा गुलाब
सारे आलम को खुश्बूदार बना लेता है
ये शोख़ी, ये शरारत अजब मुस्कुराहट
हर इक को अपना दिलदार बना लेता है
मुकेश इलाहाबादी ------
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