भीगा जाती है मेरी रूह -रूह मेरा गात
है सावन की फुहार तेरी हँसी तेरी बात
कितना भी उदास हो परेशान हो मन
खुश कर देती है मुझे तेरी मुलाकात
सांझ तू सज धज के आई थी मिलने
फिर शुबो तक महकती रही मेरी रात
मुकेश इलाहाबादी --------------------
है सावन की फुहार तेरी हँसी तेरी बात
कितना भी उदास हो परेशान हो मन
खुश कर देती है मुझे तेरी मुलाकात
सांझ तू सज धज के आई थी मिलने
फिर शुबो तक महकती रही मेरी रात
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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