एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 7 September 2018
अब तो लब हमने सी लिए हैं अपने
अब तो लब हमने सी लिए हैं अपने
दर्द तन्हाइयों से कह दिए हैं अपने
साँझ हो गयी है अब न आएगा वो
निराश, हम घर चल दिए है अपने
तीर तो हमारे भी तरकश में थे बस
युद्ध के भाव को तज दिए है अपने
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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