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Monday, 15 October 2018

वो भी न जल न जाए इतनी दहशत तो होगी

वो भी न जल न जाए इतनी दहशत तो होगी
अगर ज़िगर जल रहा है थोड़ी लपट तो होगी

कोई है उसके लिए बेचैन रहता है शामो सहर
माना कि उसे बहुत नही थोड़ी ख़बर तो होगी

कभी दिल दरिया कभी दिल झरना सा बहे है
आब सा जब कुछ बहे है, कुछ लहर तो होगी

मुकेश इलाहाबादी............

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