कहीं दुर्गम पहाड़ियां कंही गहरी खाइयाँ हैं
राह में अपनी दुश्वारियाँ ही दुश्वारियाँ हैं
कुछ दूर तो मै भी ईश्क़ की राह पर चला
राहे इश्क़ में तो रुस्वाइयाँ ही रुस्वाइयाँ हैं
हमारे पास बैठ के तुम क्या करोगे, मुकेश
पास अपने सिर्फ तन्हाईयाँ ही तन्हाईयाँ हैं
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
राह में अपनी दुश्वारियाँ ही दुश्वारियाँ हैं
कुछ दूर तो मै भी ईश्क़ की राह पर चला
राहे इश्क़ में तो रुस्वाइयाँ ही रुस्वाइयाँ हैं
हमारे पास बैठ के तुम क्या करोगे, मुकेश
पास अपने सिर्फ तन्हाईयाँ ही तन्हाईयाँ हैं
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
No comments:
Post a Comment