काँच का दिल ले पत्थरों से ज़ोर आजमाईश न कर
बेदिल लोगों का शहर है ये तू कोई फरमाईश न कर
मुकेश यहां कोई तुम्हारी चोट पे मरहम न रक्खेगा
लिहाज़ा अपने ज़ख्मो की इस तरह नुमाईश न कर
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------
बेदिल लोगों का शहर है ये तू कोई फरमाईश न कर
मुकेश यहां कोई तुम्हारी चोट पे मरहम न रक्खेगा
लिहाज़ा अपने ज़ख्मो की इस तरह नुमाईश न कर
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------
No comments:
Post a Comment