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Sunday, 24 March 2019

कभी लाल कभी गुलाबी तो कभी हरा हो जाता है

कभी लाल कभी गुलाबी तो कभी हरा हो जाता है
प्यार में होती हो तो तेरा रंग और निखर जाता है

कॉलेज नहीं स्कूल नहीं एक भी यूनिवर्सिटी नहीं
फिर ये शोख़ियाँ ये अदाएँ तुम्हे कौन सिखाता है

तंत्र नहीं मन्त्र नहीं कोइ टोना - टोटका भी नहीं
क्या वज़ह है हर शख्स तेरे जादू में आ जाता है

जब भी देखा तुझे खामोश और गुमशुम ही देखा
रात करवटें बदलते नींद में कौन कुनमुनाता है 

मुकेश इलाहाबादी --------------------------------

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