कुछ ख्वाब
कुछ हसरतें अधूरी रही
हम -तुम पास रहे
फिर भी दूरी रही
माना
हमने इज़हारे मुहब्बत न किया
तुम भी चुप रहे
हया तुम्हारी मज़बूरी रही
मुकेश इलाहाबादी ----------
कुछ हसरतें अधूरी रही
हम -तुम पास रहे
फिर भी दूरी रही
माना
हमने इज़हारे मुहब्बत न किया
तुम भी चुप रहे
हया तुम्हारी मज़बूरी रही
मुकेश इलाहाबादी ----------
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