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Tuesday, 9 July 2019

मुहब्बत के पंख लगाऊंगा,

मुहब्बत
के पंख लगाऊंगा,
उड़ जाऊँगा
देखना एक दिन,अपने चाँद से मिल आऊँगा
मेरे पास
लतीफों का खज़ाना है
उसे सुना कर
खूब हंसाऊँगा
और जब वो
खिलखिलाऎगी
फिर मै उसे
खुश देख कर मुस्कुराऊंगा
देखना एक दिन
सच्ची मुहब्बत के दम पे उसे अपना बनाऊंगा
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,,

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