हवा
मे गुम हो गये
मे गुम हो गये
वे शब्द जो तुमने कहे
वे भी जो मैंने कहे
वे भी जो मैंने कहे
अब
पसरी है चटाई,
मौन की
हमारे तुम्हारे दरम्यान
पसरी है चटाई,
मौन की
हमारे तुम्हारे दरम्यान
इस खामोश चटाई को
लपेट कर चल दूँगा मै
और खो जाऊँगा हवा में
एक दिन
लपेट कर चल दूँगा मै
और खो जाऊँगा हवा में
एक दिन
और तुम भी खो जाओगी
चुप की हवा में एक दिन
चुप की हवा में एक दिन
मुकेश इलाहाबादी
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