कब से मैं बैठा हूं अंधेरा लेकर
तू आ जा चाँद सा मुखङा लेकर
तू आ जा चाँद सा मुखङा लेकर
मेरी मुट्ठी मे थोड़े से जुगनू हैं
तू भी आ चाँद सितारा लेकर
तू भी आ चाँद सितारा लेकर
गुपचुप बहती ये झील सी आंखें
आऊँगा इश्क़ का शिकारा लेकर
आऊँगा इश्क़ का शिकारा लेकर
निकल के आओ तो इन बॉक्स से
इंतज़ार में हूं नज्में व लतीफा लेकर
इंतज़ार में हूं नज्में व लतीफा लेकर
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,,,,,,,,,,,
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