मात्र
एक विषाणु के ख़ौफ़ से
सारे बाजार
सारे रास्ते बंद हो गए
अनवरत
चलने वाली रेलगाड़ी के पहिये
रुक गए
सड़कों को ज़िंदा रखने वाले
हॉर्न बजाते ट्रकों के पहिये
चरमरा कर रुक गए
घर और गंतव्य को जाने वाले यात्री
जहाँ के तहाँ रह गए
घड़घाती मशीने बंद हो गईं
ऑफिस में ताले लग गए
जनता हैरान थी
खौफ में आ चुकी हैं
देख देख कर,
हॉस्पिटल्स में
मरीज़ों की बढ़ती संख्या को
तड़प तड़प के मरते लोगों को
हर इंसान डर चूका है
एक छोटे से विषाणु के हमले से
सिवाय सुरक्षा कर्मियों
एम्बुलेंस की सांय सांय आवाज़ के
नर्सो , डॉक्टर्स के
पुलिस कर्मियों और छिट पुट लोगों के
सड़कें सन्नाटी हो गयी हैं
सिर्फ
आवारा कुत्ते
और आवारा जानवर
पागल या भिखारियों से ही
सड़कें आबाद हैं
लोग घरों में क़ैद हो चुके हैं
टी वी और मोबाइल में कोरोना का अपडेट लेते हुए
बच्चे ज़रूर खुश हैं
स्कूल की असमय छुट्टी से
महिलाऐं किचेन और दुसरे कमरों के बीच डोल रही हैं
सभी को बाहर न जाने के निर्देश देते हुए
बुज़ुर्ग अपनी बीमारी से तो चिंतित थे ही
इस महामारी में अपना भविष्य अंधकार देखने लगे हैं
हर तरफ अजीब सा मंज़र है
कुछ भी समझ नहीं आ रहा
ईश्वर इंसानियत को इस महामारी से शीघ्र निजात दिलाओ
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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