काश प्यारी सी लोरी सुना दे कोई
अपनी बाँहों में ले के सुला दे कोई
अपनी बाँहों में ले के सुला दे कोई
जमा दर्द दिल का निकल जायेगा
जो हक़ से डांटे और रुला दे कोई
जो हक़ से डांटे और रुला दे कोई
काश बदरिया बन तन जाये कोई
आग के दरिया को बुझा दे कोई
आग के दरिया को बुझा दे कोई
काश मुहब्बत से कोई आवाज़ दे
अपने पास मुझको बुला ले कोई
अपने पास मुझको बुला ले कोई
काश कोई हो जिसपे लुट जाऊं मै
औ मुझपे भी सबकुछ लुटा दे कोई
औ मुझपे भी सबकुछ लुटा दे कोई
मुकेश इलाहाबादी ------------
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