मै तेरा नाम लिखता हूँ हथेली पे
अपने होंठ रख लेता हूँ हथेली पे
इक दिन बोसा लिया था तुमने
वही खुशबू सूंघता हूँ हथेली पे
अक्सर नजूमी पास जाता हूँ मै
क्या लिखा है पूछता हूँ हथेली पे
तुम्हारे रुखसार की वो गर्माहट
मै फिर -फिर ढूंढता हूँ हथेली पे
मुक्कू तंहाई उदासी और बेबसी
यही दौलत देखता हूँ हथेली पे
मुकेश इलाहाबादी -------------
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