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Tuesday, 2 February 2021

सूरज जाने कहाँ जा डूबा है

 सूरज जाने कहाँ जा डूबा है

चार सू अंधेरा है अंधेरा है
हर तरफ़ तो है धुन्ध छाई हुई
फ़िज़ा मे कोहरा है कोहरा है
घर से निकल के कहाँ जाऊँ मैं
हर तरफ़ तो पहरा है पहरा है
करके दिन भर आवारगी भौंरा
तुझ गुलाब पे ठहरा है ठहरा है
मैं तेरी आँखों मे डूब जाऊंगा
ये समंदर तो गहरा है गहरा है
मुकेश इलाहाबादी,,,

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