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Tuesday, 2 February 2021

आईना देख के निराश मत हुआ करो

 सुमी,

आईना देख के निराश मत हुआ करो
उम्र
के साथ साथ
तुम्हारे
इन स्याह बालों में
ये जो चाँदी सी झलकने लगी हैं न ?
ये तुम्हारे चाँद से चेहरे को
और भी खूबसूरत बना रही है
तुम्हारे
इन भरे - भरे गालों का
नमक और गमक किसे नहीं भायेगा ??
और तुम ये जो सोचती हो न
कि तुम्हारा वजन बढ़ गया है
तो ये भरा हुआ बदन
ये गुदाज़ बाहें ही तो हैं
जो तुम्हारी ख़ूबसूरती को
और और बढ़ा रही हैं
सच
कई बार मुझे तो
पूरे चाँद से ज़्यादा ये
ढलता हुए अधूरा चाँद
ज़्यादा भाता है
वैसे भी
इस अधूरे चाँद का
स्याह हिस्सा तो मै हूँ न ??
देखो मेरी बातों से तुम
हँसना नहीं मुस्कुराना नहीं
ओ मेरी सुमी
ओ मेरी चाँद
सुन रही हो न ???
मुकेश इलाहाबादी -------

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