बैठे थाले की तरंग
खट्टे इमली औ कैथा, ठंडी नीम की छाँव
कंहा गया वो गोरी और पनघट का गाँव
चना चबैना नास्ता, ताज़ी गाढ़ी छांछ ,
महके माई का आंचरा, ज्यों मेथी सा साग
मुकेश इलाहाबादी
खट्टे इमली औ कैथा, ठंडी नीम की छाँव
कंहा गया वो गोरी और पनघट का गाँव
चना चबैना नास्ता, ताज़ी गाढ़ी छांछ ,
महके माई का आंचरा, ज्यों मेथी सा साग
मुकेश इलाहाबादी
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