एक नहीं दो शेर हो जाए ------
दर्द मेरा जिस दिन हद से गुज़र जायेगा
हर सिम्त आग और धुंआ नज़र आयेगा
तुमने ठहरे हुए पानी में कंकड़ फेंका है
देखना इसका दूर तक असर जायेगा
दर्द मेरा जिस दिन हद से गुज़र जायेगा
हर सिम्त आग और धुंआ नज़र आयेगा
तुमने ठहरे हुए पानी में कंकड़ फेंका है
देखना इसका दूर तक असर जायेगा
मुकेश इलाहाबादी
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