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Tuesday, 28 February 2012

नफरत करने के लिए वक़्त ही कंहा है?

बैठे ठाले की तरंग -------------
 
नफरत करने के लिए वक़्त ही कंहा है?
पैगामे मुहब्बत,  इतने लिए फिरता हूँ !  
 
मुकेश इलाहाबादी ------------

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