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Thursday, 5 April 2012

चिटकी छिटकी चांदनी, खिली खिली सी धूप

बैठे ठाले की तरंग ---------------------------

चिटकी छिटकी चांदनी, खिली खिली सी धूप
देख देख के दर्पण गोरी, खुद से जात लजाये

छैल छबीला साजन मोरा, बांकी उसकी चाल
जब जब मै पनघट जाऊं,  सीटी  देत  बजाये

मुकेश इलाहाबादी -------------------------------

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