बैठे ठाले की तरंग ---------
चुप्पा
सामान्यतह
उसके चेहरे पर कोई भाव नही होते
‘चुप्पा’ ज्यादातर चुप ही रहता है
सारे भाव विभाव, हंसी खुशी, और
यहां तक कि सहमति और असहमति को भी
शून्य मे टांग दिया हो
शायद शून्य मे कोई खूंटी हो
या, हो सकता है उसके सभी
भाव और विभाव
इस चुप्पी के साथ
हवा मे घुल मिल कर शून्य मे
विलीन हो गये हों
बुजुर्गों का कहना है, वह
जन्म से ‘चुप्पा’ न था
अनुभव व उम्र ने
चुप्पा बना दिया है
पर, कुछ लोगों का विष्वास है
किसी बड़े हादसे ने, उसे
चुप्पा बना दिया है
बहरहाल कुछ भी हो
उसे ‘चुप्पा’ कहे जाने से
कोई एतराज नही है
मुकेश इलाहाबादी --------------
चुप्पा
सामान्यतह
उसके चेहरे पर कोई भाव नही होते
‘चुप्पा’ ज्यादातर चुप ही रहता है
सारे भाव विभाव, हंसी खुशी, और
यहां तक कि सहमति और असहमति को भी
शून्य मे टांग दिया हो
शायद शून्य मे कोई खूंटी हो
या, हो सकता है उसके सभी
भाव और विभाव
इस चुप्पी के साथ
हवा मे घुल मिल कर शून्य मे
विलीन हो गये हों
बुजुर्गों का कहना है, वह
जन्म से ‘चुप्पा’ न था
अनुभव व उम्र ने
चुप्पा बना दिया है
पर, कुछ लोगों का विष्वास है
किसी बड़े हादसे ने, उसे
चुप्पा बना दिया है
बहरहाल कुछ भी हो
उसे ‘चुप्पा’ कहे जाने से
कोई एतराज नही है
मुकेश इलाहाबादी --------------
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