दिन बीत जाता है तेरे ख्यालों में
दिन बीत जाता है तेरे ख्यालों में
रात गुज़र जाती है तेरे ख़्वाबों में
कितने पेचोखम हैं तेरे जुल्फों में
सोचकर उलझ जाता हूँ सवालों में
हमने तो देखा था तुम्हे मुहब्बत से
फिर क्यूँ मेरा नाम लिखा गुनाहगारों मे ?
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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