एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 2 August 2012
क्यूँ न ख़ाक हो जाए सारा चमन
क्यूँ न ख़ाक हो जाए सारा चमन
आफताब सा जल रहा तेरा बदन
तन्हाइयों में तेरे यादों की आहुती
यूँ कर रहा हूँ मुहब्बत का हवन
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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