अपने सहन मे बोगन बलिया खिलाये रखता हूँ
अपने सहन मे बोगन बलिया खिलाये रखता हूँ
खुशबू तो नही, पर कुछ फूल तो खिलाये रखता हूँ
जानता हूँ हमारी ग़ुरबत मे न काम आयेंगे फिर भी
बचपन की दोस्ती है दोस्ती निभाये रखता हूँ
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
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