एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 17 October 2012
चाहने वाले भी भला कब तक तेरे दर पे खड़े रहते ?
चाहने वाले भी भला कब तक तेरे दर पे खड़े रहते ?
तुम्हे न थी फुर्सत अपना जलवा ऐ हुस्न संवारने से
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------
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