एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 7 October 2012
गर मुहब्बत को तुम गुनाह कहती हो तो हाँ
गर मुहब्बत को तुम गुनाह कहती हो तो हाँ
मैंने गुनाह किया है, हाँ मैंने गुनाह किया है !
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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