खजाना तेरी यादों का हमने लुटा दिया
अफसाना ऐ मुहब्बत सबको सुन दिया
चरागे उम्मीद जल रहा था, तुम आओगी
रात अपनी मज़ार का ये दिया भी बुझा दिया
बुत ऐ संगमरमर कभी पिघलता नही,
ये जान के भी तेरे दर पे सर झुका दिया
दिल हो गया ख़ाक, राख भी न बची
ये हादसा हुआ जब तुमने घूंघट उठा दिया
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
No comments:
Post a Comment