सिर्फ तुझे ही पा लेने की ही थी ख्वाहिश
है तुझेसे बिछड़ के मर जाने की ख्वाहिश
जानता हूँ फलक के चाँद पे भी कुछ दाग हैं
पर तू रहे बेदाग हमेशा, यही मेरी ख्वाहिश
परवाना हूँ पल भर मे जल जाऊंगा, मगर
तू भी शबभर न जले सिर्फ अपनी ख्वाहिश
लुटा दूं तुझपे अपनी सारी दौलत ऐ जहान
चला जाऊं फिर तेरी बज़्म से यही ख्वाहिश
पत्थर हूँ ज़र्रा ज़र्रा बिखर जाऊं रेत बनकर
फिर लिपट जाऊं तेरे कदमो से मेरी ख्वाहिश
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
है तुझेसे बिछड़ के मर जाने की ख्वाहिश
जानता हूँ फलक के चाँद पे भी कुछ दाग हैं
पर तू रहे बेदाग हमेशा, यही मेरी ख्वाहिश
परवाना हूँ पल भर मे जल जाऊंगा, मगर
तू भी शबभर न जले सिर्फ अपनी ख्वाहिश
लुटा दूं तुझपे अपनी सारी दौलत ऐ जहान
चला जाऊं फिर तेरी बज़्म से यही ख्वाहिश
पत्थर हूँ ज़र्रा ज़र्रा बिखर जाऊं रेत बनकर
फिर लिपट जाऊं तेरे कदमो से मेरी ख्वाहिश
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
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