नींद किसी करवट हमे आती नही
याद तुम्हारी ज़ेहन से जाती नही
लैला मजनू हो या कि शीरी फरहाद
कहानियाँ दिल हमारा बहलाती नही
शज़र तो बहुत मिले राह मे मगर
हैं सभी ताड़ -वृक्ष छांह आती नही
जतन तो बहुत करता हूँ मुकेश पर
अब चेहरे पे मुस्कराहट आती नही
मुकेश इलाहाबादी -------------------
याद तुम्हारी ज़ेहन से जाती नही
लैला मजनू हो या कि शीरी फरहाद
कहानियाँ दिल हमारा बहलाती नही
शज़र तो बहुत मिले राह मे मगर
हैं सभी ताड़ -वृक्ष छांह आती नही
जतन तो बहुत करता हूँ मुकेश पर
अब चेहरे पे मुस्कराहट आती नही
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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