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Tuesday, 11 June 2013

कोई ज़रूरी तो नही जुबाँ खोला जाए

 

कोई ज़रूरी तो नही जुबाँ खोला जाए
जब आँख बोले है तो क्यूँ बोला जाए

संबंधो को बनाए रखना ही बेहतर है
क्यूँ बेवज़ह रिश्तों मे विष घोला जाए

गमे दिल जब कोई बाट सकता नही
तो  क्यूँ अपना राजे दिल खोला जाए 

ज़िन्दगी है कोई व्यापार नहीं मुकेश 
मुहब्बत को  क्यूँ पैसों से तोला जाए 

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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