कोई ज़रूरी तो नही जुबाँ खोला जाए
जब आँख बोले है तो क्यूँ बोला जाए
संबंधो को बनाए रखना ही बेहतर है
क्यूँ बेवज़ह रिश्तों मे विष घोला जाए
गमे दिल जब कोई बाट सकता नही
तो क्यूँ अपना राजे दिल खोला जाए
ज़िन्दगी है कोई व्यापार नहीं मुकेश
मुहब्बत को क्यूँ पैसों से तोला जाए
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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