आरज़ू अपनी उसके दर पे रख के आये हैं
एक फूल हम पत्थर पे रख के आये हैं
मांग न ले कोई उनसे उनका दिल इसलिए
जनाब अपना दिल घर पे रख के आये हैं
उस किनारे ने आवाज़ दी तुम चले आओ,,
हम फूलों की कश्ती लहर पे रख के आये हैं
सूना सीप मे बूँद मोती बन जाये सागर के
हम भी ख्वाहिश समंदर पे रख के आये हैं
शहर ही नहीं हमने छोड़ दी सारी दुनिया
पर दिल मुकेश तेरे दर पे रख के आये हैं
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
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