वो,रात कोहनी पे सर रख के रोया
जाने किस बात पे रह रह के रोया
गुमसुम गुमसुम रहता था आज वो
महफ़िल मे तो हरदम हँसता रहता
पाके तेरा कांधा फुट फुट के रोया
पर तन्हाई में तो छुप छुप के रोया
मुकेश कहता किससे मन की बातें
जब भी रोया दिल मे घुट -२ के रोया
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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