एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 17 June 2013
छेड़ूँ उसको तो गुस्सा होती है
छेड़ूँ उसको तो गुस्सा होती है
गर न छेड़ूँ तो मायूस होती है
उसकी बातें भी उसकी तरह
बड़ी कितनी मासूम होती हैं
मुकेश इलाहाबादी -----------
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