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Wednesday, 17 July 2013

अपना किरदार बदल दूं क्या ?

अपना किरदार बदल दूं क्या ?
इश्क ऐ व्यापार बदल दूं क्या ?

तू इजहारे मुहब्ब्त करती नही
अपना घर बार बदल दूं क्या ?

अपनी बाहों की माला बना के
ये नौलखा हार बदल दूं क्या ?

तुझे खुश  करने रखने की खातिर
बात और व्यवहार बदल दूं  क्या ?

लोग होली दिवाली भी खुश नही
मुकेश सारे त्यौहार बदल दूं क्या ?

तुझे खुष करने रखने की खातिर
बात और व्यवहार बदल दूं क्या ?

मुकेश  इलाहाबादी ...............

1 comment:

  1. अपनी बाहों की माला बना के
    ये नौलखा हार बदल दूं क्या ?

    तुझे खुश करने रखने की खातिर
    बात और व्यवहार बदल दूं क्या ?

    बहुत बढ़िया आदरणीय .. बधाई !

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