जज्बा औ हौसला बनाये रखिये
दरिया ऐ मुहब्बत बहाये रखिये
जमाना आज नही तो कल बदलेगा
मशाल ऐ इन्कलाब जलाए रखिये
मानता हूं दौर बहुत कठिन है पर
थोडी तो इन्सानियत बचाऐ रखिए
जब तक सच्चा हमदर्द न मिले तो
ग़म अपना सबसे छुपाये रखिये
पेड़ औ पौधे जमीन के जेवर हैं
इस मॉ के गहने बचाए रखिये
मुकेश इलाहाबादी ................
दरिया ऐ मुहब्बत बहाये रखिये
जमाना आज नही तो कल बदलेगा
मशाल ऐ इन्कलाब जलाए रखिये
मानता हूं दौर बहुत कठिन है पर
थोडी तो इन्सानियत बचाऐ रखिए
जब तक सच्चा हमदर्द न मिले तो
ग़म अपना सबसे छुपाये रखिये
पेड़ औ पौधे जमीन के जेवर हैं
इस मॉ के गहने बचाए रखिये
मुकेश इलाहाबादी ................
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