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Tuesday, 30 July 2013

बैठी है उदासी देर से



बैठी है उदासी देर से

ओढ़े खामोषी देर से



रोषनी के इन्तजार मे

फैली है तीरगी देर से



बादलों के हिजाब मे

छुपी है चांदनी देर से



प्रिय के वियोग मे गोरी

बैठी है अनमनी देर से



उदास ऑखों मे मुकेष

ठहरी है नमी देर से



मुकेष इलाहाबादी ....

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