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Friday, 9 August 2013

करके दोस्ती लहरों के साथ

करके दोस्ती लहरों के साथ
छोड दी कस्ती हवाओं के साथ

सजा के बेंदी उसके माथे पे
करदी जुल्फें फजाओं के साथ

चंद क़तरे बचा के पलकों पे
अष्क कर दिये घटाओं के साथ

बोल के बादशाह के खिलाफ
सर रख दिया तलवारों के साथ

अंजाम को नही डरता है मुकेश
आया हूं बुलंद इरादों के साथ


मुकेश  इलाहाबादी ..............

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