एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Tuesday, 2 July 2013
किसी का र्दद दिल मे लिये फिरते हैं
किसी का र्दद
दिल मे लिये फिरते हैं
कितनी बेशकीमती
जागीर लिये फिरते हैं
उसे फुरसत ही नही
मेरे दिल मे देखे
उसके लिये
क्या क्या तोहफे लिये फिरते हैं
पलट के देखता भी नही जालिम
कि हम उसे मुड़ मुड़ के देखते हैं
मुकेश इलाहाबादी .....................
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment