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Thursday, 11 July 2013

रोज तेरा इन्तजार होता है

रोज तेरा इन्तजार होता है
रोज दिल उदास होता है

समन्दर के बीच टापू मै
इक पन्छी तन्हा रोता है

दिल बहलता ही नही जब
कोई अपना दूर होता है

रात की स्याही मे लिपट
चॉद कितना उजला होता है

धूप मे तब कर देखो तो
पसीना भी मोती होता है

मुकेष इलाहाबादी ........

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