रोज तेरा इन्तजार होता है
रोज दिल उदास होता है
समन्दर के बीच टापू मै
इक पन्छी तन्हा रोता है
दिल बहलता ही नही जब
कोई अपना दूर होता है
रात की स्याही मे लिपट
चॉद कितना उजला होता है
धूप मे तब कर देखो तो
पसीना भी मोती होता है
मुकेष इलाहाबादी ........
रोज दिल उदास होता है
समन्दर के बीच टापू मै
इक पन्छी तन्हा रोता है
दिल बहलता ही नही जब
कोई अपना दूर होता है
रात की स्याही मे लिपट
चॉद कितना उजला होता है
धूप मे तब कर देखो तो
पसीना भी मोती होता है
मुकेष इलाहाबादी ........
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