तुम भी अजब यार लगते हो
मुहब्बत के बीमार लगते हो
किसी के ग़म मे हो शायद ?
उजडे से बरखुरदार लगते हो
बडे अपनेपन से बात करते हो
तुम इंसान तमीजदार लगते हो
रिश्तों मे फासला भी रखते हो
मियॉ बडें दुनियादार लगते हो
मुकेश जमाना तुमसे भीहै खफा
तुम सच के तरफदार लगते हो
मुकेश इलाहाबादी .............
मुहब्बत के बीमार लगते हो
किसी के ग़म मे हो शायद ?
उजडे से बरखुरदार लगते हो
बडे अपनेपन से बात करते हो
तुम इंसान तमीजदार लगते हो
रिश्तों मे फासला भी रखते हो
मियॉ बडें दुनियादार लगते हो
मुकेश जमाना तुमसे भीहै खफा
तुम सच के तरफदार लगते हो
मुकेश इलाहाबादी .............
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