लिख लिख के रोये
हर लफ्ज़ मे तुम याद आये
रह रह के रोये
हम जाके किससे कहते ?
तेरा किस्सा ए बेवफाई
याद करके तेरी हर बात हम
घुट घुट के रोये
वह तेरा मुस्कुराना बेवजह
और खिलखिला के भाग जाना
कि हम तेरी हर अदायें याद
कर कर के रोये
मेरे चेहरे की तहरीर से
कहीं कोई तेरा नाम न पढ़ ले
एहतियातन हम जमाने से
छुप छुप के रोये
मुकेश इलाहाबादी ..........
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